नंबर गेम मोदी सरकार के साथ फिर भी विपक्ष क्यों लाया अविश्वास प्रस्ताव?
नई दिल्ली। मोदी सरकार को 300 से ऊपर सांसदों का समर्थन हासिल है। इसके बावजूद विपक्ष बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया। इसकी वजह यह नहीं है कि विपक्ष सरकार को गिरा सकता है या गिराने के लिए जरूरी समर्थन उसके पास है। वजह है कि विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर मुद्दे पर बोलने के लिए विवश करना चाहता है।
प्रधानमंत्री ने लगातार मणिपुर में हो रही जातीय या कहे कि सांप्रदायिक हिंसा पर चुप्पी साध रखी है। 79 दिनों के बाद प्रधानमंत्री की चुप्पी तो टूटी, लेकिन सिर्फ 36 सेकेंड के लिए। विपक्ष सदन में उनसे चर्चा की मांग कर रहा है। हालांकि, सरकार सदन में चर्चा तो कराना चाहती है, लेकिन एक सीमित दायरे में। विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा की मांग कर रहा है। इसमें विस्तृत चर्चा का प्रावधान है और नेता सदन यानी प्रदानमंत्री मोदी को इसपर जवाब देना पड़ेगा। उसके लिए सत्तापक्ष राजी नहीं है। इसलिए विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव का विकल्प चुना, क्योंकि उसमें प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देना पड़ेगा।
विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान तमाम मुद्दों को उठा सकता है। मणिपुर पर चर्चा से सरकार बच रही है, उस पर भी विपक्ष अपनी बात रख सकता है। इस दौरान सभी दलों को उनकी संख्या के मुताबिक सदन में बोलने के लिए वक्त दिया जाता है। इसलिए विपक्ष यह जानते हुए कि सदन में उसका अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा, फिर भी उसने मॉनसून सत्र के पांचवें दिन है इसका नोटिक दिया। बुधवार सुबह 10 बजे के पहले कांग्रेस के सांसद अखिल गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। गौरतलब है कि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सुबह 10 बजे के पूर्व ही देना होता है और इसके लिए 50 सांसदों का न्यूनतम समर्थन होना जरूरी है
बीआरएस ने भी अलग से दिया अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस
तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस ने भी केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ अलग से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। गौरतलब है कि बीआरएस पूर्व में बंगलुरु और उसके पहले बिहार में हुई विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं हुई थी। इसलिए उसका यह कदम अपने आप में अहम माना जा रहा है। (ब्यूरो)