घिबली : चेहरे बदलती तकनीक, पहचान मिटाती हकीकत
घिबली यानी तस्वीरों की दुनिया में एक नई हलचल! लेकिन इस हलचल ने बेहद कम समय में हमारी पहचान और अस्तित्व को प्रभावित किया है। यह सब कितना सुरक्षित, असुरक्षित है और आने वाले समय में हमारे जीवन को कितना सुखद या जटिल बनाएगा, जानिए…
हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर एक नया ट्रेंड छाया हुआ है – घिबली (ऐप)। यह एक ऐसा AI यानी कृत्रिम मेधा ऐप है जो लोगों की तस्वीरों को एनिमे स्टाइल में बदल देता है, खासतौर पर जापानी एनीमेशन स्टूडियो ‘स्टूडियो घिबली’ की मशहूर फिल्मों जैसी।
इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर पर लोग अपनी एनिमे तस्वीरें साझा कर रहे हैं, और यह ट्रेंड तेजी से फैल रहा है। लेकिन इस ट्रेंड के साथ कुछ अहम सवाल भी उठ खड़े हुए हैं – क्या यह ऐप सुरक्षित है? क्या हमारी निजी तस्वीरें सुरक्षित हैं? और भविष्य में इसका हमारे जीवन पर क्या असर हो सकता है?
यह ऐप AI तकनीक का इस्तेमाल करता है। यूजर अपनी तस्वीरें इसमें अपलोड करता है और कुछ ही सेकंड में वह उन्हें एनिमे लुक में बदल देता है। चेहरे की बनावट, बालों की स्टाइल, आंखों का आकार – सब कुछ बदल जाता है, लेकिन मूल तस्वीर की झलक बनी रहती है। यह एक तरह की विजुअल ट्रांसफॉर्मेशन है जो लोगों को मजेदार और नया अनुभव देती है।
लोग क्यों हो रहे हैं आकर्षित
घिबली ऐप का इस्तेमाल करने वाले अधिकतर लोग इसे ‘फन’ के तौर पर देख रहे हैं। अपनी तस्वीर को अलग रूप में देखने का अनुभव न सिर्फ रोचक है, बल्कि सोशल मीडिया पर साझा करने लायक भी है। साथ ही, बहुत से यूजर्स इसे अपनी प्रोफाइल पिक्चर भी बना रहे हैं। युवाओं के बीच यह ट्रेंड तेजी से लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि इसमें क्रिएटिविटी और कल्पना का मेल है।
क्या यह सुरक्षित है
यही सबसे बड़ा सवाल है। जब कोई यूजर अपनी तस्वीर ऐप में डालता है, तो वह अनजाने में अपनी निजता से जुड़ी जानकारी एक तीसरे पक्ष के साथ साझा कर रहा होता है। ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में लिखा होता है कि तस्वीरों का इस्तेमाल मॉडल ट्रेनिंग या अन्य AI विकास के लिए किया जा सकता है। यानी आपकी फोटो किसी और डेटा सेट का हिस्सा बन सकती है। इससे जुड़ी आशंकाएं हैं कि कहीं ये तस्वीरें गलत हाथों में न चली जाएं या भविष्य में Deepfake या अन्य खतरनाक तकनीकों का हिस्सा न बनें।
क्या इसके फायदे भी है
घिबली ऐप जैसे AI टूल्स से आम लोगों को टेक्नोलॉजी के प्रति रुचि बढ़ती है। ये क्रिएटिविटी को नया आयाम देते हैं। आर्टिस्ट्स, डिजाइनर्स और कंटेंट क्रिएटर्स को इससे प्रेरणा मिल सकती है। साथ ही, यह डिजिटल एंटरटेनमेंट का एक नया रूप भी बन रहा है।
इसके नुकसान क्या हैं? सबसे बड़ा नुकसान निजता को लेकर है। कई बार यूजर्स बिना पढ़े ऐप को तमाम एक्सेस दे देते हैं – कैमरा, गैलरी, लोकेशन आदि। साथ ही, AI तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल से असली और नकली में फर्क करना मुश्किल होता जा रहा है। किसी की तस्वीर को बदलकर गलत सन्देश फैलाया जा सकता है। यह साइबर क्राइम का जरिया भी बन सकता है।
भविष्य में इसका असर
AI आधारित इमेज जेनरेशन का चलन अभी शुरुआत में है। आने वाले समय में यह और भी उन्नत होगा। लोग अपने वर्चुअल अवतार बना सकेंगे, फिल्में और वीडियो अपने लुक के साथ खुद तैयार कर सकेंगे। लेकिन साथ ही, यह तकनीक पहचान की चोरी, धोखाधड़ी और मानसिक भ्रम का कारण भी बन सकती है। खासकर युवा पीढ़ी, जो अपनी असली तस्वीर से अधिक वर्चुअल लुक में रमने लगेगी, उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है।
घिबली ऐप एक दिलचस्प टेक्नोलॉजिकल ट्रेंड है जो वर्तमान में एंटरटेनमेंट और सोशल मीडिया में हलचल मचा रहा है। लेकिन इसके साथ ही यह हमें सावधान भी करता है कि तकनीक का इस्तेमाल सोच-समझकर किया जाए। हर मजेदार चीज के पीछे एक जिम्मेदारी भी छुपी होती है। तस्वीरों की इस नई दुनिया में कदम रखते समय हमें यह याद रखना होगा कि असली दुनिया और डिजिटल दुनिया के बीच की रेखा कहीं धुंधली न हो जाए।